जितिया व्रत उपासक महिलाओं ने पुत्र की दीर्घायु के लिए किया कथाश्रवण
फरसाबाहर से खुलेश्वर यादव की रिपोर्ट ✍️
फरसाबहार, पंडरीपानी, सिमाबारी और बोखी ग्रामों की महिलाओं ने आश्विन मास के कृष्ण पक्ष अष्टमी को निर्जला जितिया व्रत रखा। माताओं ने पूरी श्रद्धा से व्रत करते हुए रात्रि में कथा श्रवण किया और अपने पुत्रों की लंबी उम्र, स्वास्थ्य एवं सुख-समृद्धि की कामना की।
पंडरीपानी में कथाकार कौशल नायक ने जीवित्पुत्रिका व्रत की कथा सुनाई। धार्मिक मान्यता के अनुसार यह व्रत भगवान जीमूतवाहन और जीवित्पुत्रिका कथा से जुड़ा है। कथा श्रवण और विधि-विधान से किए गए इस व्रत से संतानों की रक्षा होती है तथा उनके जीवन में खुशहाली आती है।
यह पर्व तीन दिनों तक चलता है—
सप्तमी को नहाय-खाय
अष्टमी को निर्जला उपवास और कथा श्रवण
नवमी को व्रत पारण।
मान्यता है कि इस व्रत के प्रभाव से संतान मृत्यु के संकट से भी सुरक्षित रहती है। महिलाएं पूजा के बाद जितिया का लाल धागा धारण करती हैं और दान देकर व्रत का समापन करती हैं।